Mast Jawani Shayari in Hindi (मस्त जवानी शायरी)
हुस्न ढल गया गुरूर अभी बाकी है
नशा उतर गया सुरूर अभी बाकी है
जवानी ने दस्तक दी और चली गई
जेहन में वही फितूर अभी बाकी है
मलाहत जवानी तबस्सुम इशारा
इन्हीं काफ़िरों ने तो शायर को मारा
कहाँ तक जफा हुस्न वालों के सहते
जवानी जो रहती तो फिर हम न रहते
वही प्यास के अनगढ़ मोती वही धूप की सुर्ख़ कहानी
वही ऑंख में घुट कर मरती ऑंसू की ख़ुद्दार जवानी
अभी तो बहुत है जवानी पटाएगे फिर एक रानी
फिर लिखी जाएगी इस हीरो की नई प्रेम कहानी
ऐ दिल सुना न मुझको बिसरी हुई कहानी
कुछ इश्क की तबाही कुछ हुस्न की जवानी
जवानी जा रही है और मैं महव-ए-तमाशा हूँ
उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं
दिल में जूनून और आग जैसी जवानी चाहिए
हम पंडितो को दुश्मन भी खानदानी चाहिए
अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
एक बिगड़ी हुई तस्वीर-ए-जवानी हूँ मैं
सुकून-ए-कल्ब की दौलत कहाँ दुनिया-ए-फानी में
बस इक गफलत-सी आ जाती है और वो भी जवानी में
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ
एक उम्र जवानी होती है हर शय पे रवानी होती है
हर दिल नजरो का दीवाना हर नजर दीवानी होती है
बरसात की भीगी रातों में फिर कोई सुहानी याद आई
कुछ अपना ज़माना याद आया कुछ उनकी जवानी याद आई
तुम्हारी क़ातिल अदा और मदमस्त जवानी
तड़पा रही हम को रहम कर दिवानी
मोहब्बत के सुहाने दिन जवानी की हसीन राते
जुदाई में नज़र आती हैं ये सब ख्वाब की बाते
Jawani Par Shayari
कतरा कतरा सागर तक तो जाती है हर उम्र
मगर जो बहता दरिया वापस मोड़े उसका नाम जवानी है
हंसीए जो कभी पाइये पढ़ते ग़ालिब की गज़ल
और हाय जवानी ले बैठी तन्हा गुनगुनाइए
बच जाए जवानी में जो दुनिया की हवा से
होता है फ़रिश्ता कोई इंसाँ नहीं होता
Teri Jawani Shayari
तेरी जवानी तपता महीना ए नाजनीना
छू ले नज़र तो आए पसीना ए नाजनीना
इक अदा मस्ताना सर से पाँव तक छाई हुई
उफ़ तेरी काफ़िर जवानी जोश पर आई हुई
हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी
ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़
वोजवानी-जवानी ही क्या ?
जिसे लोग पलट कर न देखे
जिंदगी की रफ़्तार में क्या-क्या नहीं छूटा ?
कहीं बचपन नहीं रहा कहीं जवानी नहीं रही
जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा
हया यक-लख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता
क़यामत है तिरी उठती जवानी
ग़ज़ब ढाने लगीं नीची निगाहें
एक तो कम जिंदगानी
उस से भी कम है जवानी
प्यार लो प्यार दो
मध्य वय बिना छिछोरापन के जवानी है
और बिना बीमारी के बुढ़ापा
आग लगे उस जवानी को
जिसमें महाकाल नाम की दिवानगी न हो
हुकूमत थी बचपन में बादशाहों सी हमारी
जवानी ने हमें तकदीर का रफ़ूगर बना दिया
टहनियों के आँगन में हरे पत्तों को जवानी की दुआ लगे
मुसाफिरों को ठहरने का ठिकाना और सिरों पर छाया दे
अह्दे-जवानी रो-रो काटी पीरी में लीं आंखें मून्द
यानी रात बहुत थे जागे सुबह हुई आराम किया
मेरी दरमांदा जवानी की तमाओं के
मुज्महिल ख्वाब की ताबीर बता दे मुझको
आइना देख के फ़रमाते हैं
किस ग़ज़ब की है जवानी मेरी
इतनी आसानी से मिलती नहीं फ़न की दौलत
ढल गई उम्र तो गज़लों में जवानी आई
फना होने की इज़ाजत ली नहीं जाती ये
जो देश के काम ना आये वो बेकार जवानी है
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा
अरे मिट गये सरदारों को मिटाने वाले
क्योकि आग मे तपती सरदारों की जवानी है
लोग कहते हैं कि बद-नामी से बचना चाहिए
कह दो बे इस के जवानी का मज़ा मिलता नहीं
जवानी प्रकृति का उपहार है
पर उम्र कला का एक काम है
इस जवानी से तो बचपन अच्छा था
जब कुछ बुरा लगता था वही रो देते थे
अब तो रोने के लिए भी जगह ढूंढनी पड़ती है
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिये
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं
है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार
सादगी गहना है इस सिन के लिए
जब हम जवां होंगे जाने कहा होंगे
लेकिन जन्हा होंगे वह फ़रियाद करेंगे
तुझे याद करेंगे
किसी का अहद-ए-जवानी में पारसा होना
क़सम ख़ुदा की ये तौहीन है जवानी की
जवानी की दुआ लड़कों को ना-हक़ लोग देते हैं
यही लड़के मिटाते हैं जवानी को जवाँ हो कर
उम्र-ऐ-जवानी फिर कभी ना मुस्करायी बचपन की तरह
मैंने साइकिल भी खरीदी खिलौने भी लेके देख लिए
बुढापा बाकि सभी चीजों की तरह ही है
इसे सफल बनाने के लिए जवानी में ही
शुरुआत करनी पड़ती है
जवानी में हम मुसीबतों के पीछे भागते हैं
बुढापे में मुसीबतें हमारे पीछे
बला है, कहर है, आफत है, फितना है, क़यामत है,
इन हसीनो की जवानी को जवानी कौन कहता है
खुद अपनी जवानी की आरजूओं पर
तुम्हारे बाद अकेला ही छुप के रोता हूँ
जवानी में की गयी ज्यादतियों को
हम बुढापे में भोगते हैं
ज़िक्र जब छिड़ गया क़यामत का
बात पहुँची तिरी जवानी तक
वह कुछ मुस्कुराना वह कुछ झेंप जाना
जवानी अदाएं सिखाती है क्या-क्या
जवानी को बचा सकते तो हैं हर दाग़ से वाइज़
मगर ऐसी जवानी को जवानी कौन कहता है
ख़याल-ओ ख़्वाब में दीवानगी पागलपन में
जवानी काम की थी ग़फ़लतों में बीत गयी
जवानी धनवान होने के लिए सबसे अच्छा समय है
और गरीब होने के लिए भी
लड़कपन खेल में खोया जवानी नींद में सोया
बुढ़ापा देख के रोया वही किस्सा पुराना है