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sad broken heart shayari in hindi | धोखा शायरी हिंदी में

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ना कर तमन्ना तू किसी को पाने की,
बडी बेदर्द निगाहे है इस जमाने की,
खुद को बनाले काबिल इस कदर की,
रखे लोग तमन्ना सिर्फ तुझे पाने की…

मौत मांगते है तो जिंदगी खफा हो जाती है,
जहर लेते है तो वह भी दवा हो जाती है,
तु ही बता ए दोस्त क्या करू,
जिसको भी चाहा वो बेवफा हो जाती है…

दिल से तेरी याद को जुदा तो नही किया,
रखा जो तुझे याद बुरा तो नही किया,
हम से लोग है नाराज किस लिए,
हम ने कभी जानकर किसी को खफा नही किया

साँस थम जाती है पर जान नही जाती,
दर्द होता है पर आवाज नही आती,
अजीब लोग है इस जमाने मे ए दोस्त,
कोई भूल नही पाता और किसी को याद नही आती…

धोखा दिया था जब तूने मुझे,
जिंदगीसे मै नाराज था,
सोचा की दिल से तुझे निकाल दू,
मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था…

प्यार किसी से जो करोगे रुसवाई ही मिलेगी,
वफा कर लो चाहे जितनी बेवफाई ही मिलेगी,
जितना भी किसी को अपना बना लो,
जब आँख खुलेगी तन्हाई ही मिलेगी…

मिलना इत्तेफाक था बिछडना नसीब था,
वो इतना दूर हो गया जितना वो मेरे करीब था,
हम उनको देखने के लिए तरस गए,
जिसकी हथेली पे हमारा नसीब था…

खुदा किसी को किसी पर फ़िदा न करे;
करे तो क़यामत तक जुदा न करे;
यह माना कि कोई मरता नहीं जुदाई में;
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में!

मंजिल ढूंढ़ते ढूंढ़ते आज मुझे एहसास हुआ;
कि मेरे 'हमसफ़र' की राह तो कबकी बदल गयी!

फूल खिलतें हैं, खिलकर बिछड़ जाते हैं;
फूल खिलतें हैं, खिलकर बिछड़ जाते हैं;
यादें तो दिल में रहती हैं, दोस्त ही मिलकर बिछड़ जाते हैं!

हमने तो ऊमर गुज़ार दी तन्हाई में;
सह लिए सित्तम तेरी जुदाई में;
अब तो यह फ़रियाद है खुदा से;
कोई और ना तड़पे, तेरी बेवाफ़ाई में!

दिल तो करता है जिंदगी को किसी क़ातिल के हवाले कर दूँ, अये यारो;
जुदाई में यूँ रोज़ रोज़ मरना मुझे अच्छा नहीं लगता!

सर्द रातों को सताती है जुदाई तेरी;
आग बुझती नहीं सीने में लगाई तेरी;
जब भी चलती हैं हवाएं;
बहुत परेशान करती है यह तन्हाई मेरी।

जिंदगी मोहताज़ नहीं मंजिलो की;
वक़्त हर मंजिल दिखा देता है;
मरता नहीं कोई किसी से जुदा होकर;
वक़्त सबको जीना सिखा देता है।

याद में तेरी आँखें भरता है कोई;
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई;
मौत एक ऐसी चीज़ है जिसको आना ही है;
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज़ मरता है कोई।

याद में तेरी आँहें भरता है कोई;
हर साँस के साथ तुझे याद करता है कोई;
मौत तो सच्चाई है आनी है;
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज मरता है कोई!

ज़माना बन जाए कागज़ का;
और समंदर हो जाए स्याही का;
फिर भी कलम लिख नहीं सकती;
दर्द तेरी जुदाई का।

तुम ना समझोगे इस तन्हाई के मायने;
पूछना है तो शाख से टूटे पत्ते से पूछो क्या है जुदाई;
यूँ ना कह दो बेवफा हमें;
यह पूछो कि किस वक़्त तेरी याद नहीं आई।

बता मुझे ये तेरी तनहाई कैसी है;
समझकर प्यार सारा फिर भी रुसवाई कैसी है;
हमें और भी मजबूर कर दिया है तूने;
तू बता तो सही ये तेरी तनहाई कैसी है?

बेताब तमन्नाओं की कसक रहने दो;
मंजिल को पाने की कसक रहने दो;
आप चाहे रहो नजर से दूर;
पर मेरी आँखों में एक झलक रहने दो।

अर्ज़ किया है:
इतना कमजोर हो गए तेरी जुदाई में;
इतना कमजोर हो गए तेरी जुदाई में;
कि अब तो चींटी भी खींच ले जाती है चारपाई से।

मुझे उसके पहलु में आशियाना ना मिला;
उसकी जुल्फों की छाओं में ठिकाना ना मिला;
कह दिया उसने मुझको बेवफ़ा;
जब मुझको छोड़ने का उसे कोई बहाना ना मिला।

जलते हुए दिल को और मत जलाना;
रोती हुई आँखों को और मत रुलाना;
आपकी जुदाई में हम पहले ही मर चुके हैं;
मरे हुए इंसान को और मत मारना।

हर ख़ुशी गम का ऐलान है;
हर मुलाक़ात जुदाई का ऐलान है;
ना रखा किसी से उम्मीद;
हर उम्मीद दिल टूटने का फरमान है।

na kar tamanna tu kisi ko pane ki,
badi bedard nigahe hai is jamane ki,
khud ko banale kabil is kadar ki,
rakhe log tamanna sirf tujhe pane ki…

maut mangate hai to jindagi khafa ho jati hai,
jahar lete hai to vah bhi dawa ho jati hai,
tu hi batadost kya karu,
jisako bhi chaha vo bevafa ho jati hai…

dil se teri yad ko juda to nahi kiya,
rakha jo tujhe yad bura to nahi kiya,
ham se log hai naraj kis lie,
ham ne kabhi janakar kisi ko khafa nahi kiya

sans tham jati hai par jan nahi jati,
dard hota hai par awaj nahi ati,
ajib log hai is jamane medost,
koi bhul nahi pata aur kisi ko yad nahi ati…

dhokha diya tha jab tune mujhe,
jindagise mai naraj tha,
socha ki dil se tujhe nikal du,
magar knbakht dil bhi tere pas tha…

pyar kisi se jo karoge rusawai hi milegi,
vafa kar lo chahe jitani bevafai hi milegi,
jitana bhi kisi ko apana bana lo,
jab ankh khulegi tanhai hi milegi…

milana ittefak tha bichhadana nasib tha,
vo itana dur ho gaya jitana vo mere karib tha,
ham unako dekhane ke lie taras gae,
jisaki hatheli pe hamara nasib tha…

khuda kisi ko kisi par fida na kare;
kare to qayamat tak juda na kare;
yah mana ki koi marata nahin judai men;
lekin ji bhi to nahin pata tanhai men!

mnjil dhundh़te dhundh़te aj mujhe ehasas hua;
ki mere 'hamasafar' ki rah to kabaki badal gayi!

ful khilaten hain, khilakar bichhad़ jate hain;
ful khilaten hain, khilakar bichhad़ jate hain;
yaden to dil men rahati hain, dost hi milakar bichhad़ jate hain!

hamane to umar guzar di tanhai men;
sah lie sittam teri judai men;
ab to yah fariyad hai khuda se;
koi aur na tadape, teri bewafai men!

dil to karata hai jindagi ko kisi k़atil ke hawale kar dun, aye yaro;
judai men yun roj roj marana mujhe achchha nahin lagata!

sard raton ko satati hai judai teri;
ag bujhati nahin sine men lagai teri;
jab bhi chalati hain hawaen;
bahut pareshan karati hai yah tanhai meri.

jindagi mohtaz nahin mnjilo ki;
vakt har mnjil dikha deta hai;
marata nahin koi kisi se juda hokar;
vak़. ht sabako jina sikha deta hai.

yaad men teri ankhen bharata hai koi;
har sans ke sath tujhe yad karata hai koi;
maut ek aisi chij़ hai jisako ana hi hai;
lekin teri judai men har roj़ marata hai koi.

yaad men teri anhen bharata hai koi;
har sans ke sath tujhe yad karata hai koi;
maut to sachchai hai ani hai;
lekin teri judai men har roj marata hai koi!

j़mana ban jae kagaj़ ka;
aur samndar ho jae syahi ka;
fir bhi kalam likh nahin sakati;
dard teri judai ka.

tum na samajhoge is tanhai ke mayane;
puchhana hai to shakh se tute patte se puchho kya hai judai;
yun na kah do bevafa hamen;
yah puchho ki kis vak़. ht teri yad nahin ai.

bata mujhe ye teri tanahai kaisi hai;
samajhakar pyar sara fir bhi rusawai kaisi hai;
hamen aur bhi majabur kar diya hai tune;
tu bata to sahi ye teri tanahai kaisi hai?

betab tamannaon ki kasak rahane do;
manjil ko pane ki kasak rahane do;
ap chahe raho najar se dur;
par meri ankhon men ek jhalak rahane do.

arj़ kiya hai:
itana kamajor ho gae teri judai men;
itana kamajor ho gae teri judai men;
ki ab to chinti bhi khinch le jati hai charapai se.

mujhe usake pahalu men ashiyana na mila;
usaki julfon ki chhaon men thikana na mila;
kah diya usane mujhako bewafa;
jab mujhako chhod़ne ka use koi bahana na mila.

jalate hue dil ko aur mat jalana;
roti hui ankhon ko aur mat rulana;
apaki judai men ham pahale hi mar chuke hain;
mare hue insan ko aur mat marana.

har khushi gam ka ailan hai;
har mulkat judai ka ailan hai;
na rakha kisi se ummid;
har ummid dil tutane ka faraman hai.

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