बसंत पंचमी शायरी - सरस्वती पूजा 2021 - Saraswati Puja 2021 Shayari
Saraswati Puja 2021
हो जाओ तैयार, माँ सरस्वती आने वाली है।
सजा लो दरबार माँ सरस्वती आने वाली हैं।
तन,मन और जीवन हो जायेगा पावन,
माँ के कदमो की आहट से गूँज उठेगा आँगन।
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रोशनी माँ तेरे प्यार की पल पल महसूस करूं
तुझसे है आस मेरी माँ
तभी तो करम करके धीरज धरूं
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ना कोई भेंट मांगे तुमसे,
न कोई चढ़ावा,
उसके दमन को बस थाम लो,
जीवन में जब जब ये अवसर है आया।
बसंत पंचमी शायरी |
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सरस्वती पूजा का ये प्यारा त्यौहार
जीवन में लायेगा ख़ुशी अपार
सरस्वती विराजे आपके दवार
शुभकामना हमारी करे स्वीकार
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तू स्वर की दाता हैं
तू ही वर्णों की ज्ञाता
तुझमे ही नवाते शीष
हे शारदा मैया दे अपना आशीष
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विद्या दायिनी, हंस वाहिनी माँ भगवती
तेरे चरणों में झुकाते शीष हे देवी
कृपा कर हे मैया दे अपना आशीष
सदा रहे अनुकम्पा तेरी रहे सदा प्रविश
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वीणा लेकर हाथ में
सरस्वती हो आपके साथ में
मिले मां आर्शीवाद आपको हर दिन
हर वार हो मुबारक बसंत पंचमी का त्यौहार
Vasant Panchami
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किताबों का साथ हो
पेन पर हाथ हो
कोपिया आपके पास हो
पढाई दिन रात हो
जिंदगी के हर इम्तिहान में आप पास हो
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हो जाओ तैयार, माँ सरस्वती आने वाली है
सजा लो दरबार माँ सरस्वती आने वाली हैं
तन,मन और जीवन हो जायेगा पावन
माँ के कदमो की आहट से
गूँज उठेगा आँगन
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सहस शील हृदय में भर दे
जीवन त्याग से भर दे
संयम सत्य स्नेह का वर दे
माँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे
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बिन बुलाए भी जहां
जाने को जी चाहता है
वो चौखट ही है तेरी माँ
जहां यह बंदा सुकून पाता है
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माँ जब भी तुझको पुकारा है
बिन मांगे सब पाया है
ए माँ मेरी गुनाहों को
मेरे मैं कुबूल करता हूँ
मोक्ष दे दे मेरी माँ
बस यही आशा रखता हूँ
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रोशनी माँ तेरे प्यार की
पल पल महसूस करूं
तुझसे है आस मेरी माँ
तभी तो करम करके धीरज धरूं
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Basant Panchami
कमल पुष्प पर आसीत माँ
देती ज्ञान का सागर माँ
कहती कीचड़ में भी कमल बनो
अपने कर्मो से महान बनो
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ज़माने भर की याद में मुझे ना भुला देना,
जब कभी याद आये तो ज़रा मुस्कुरा लेना,
ज़िंदा रहे तो फिर मिलेंगे,
वर्ना बसंत पंचमी में एक पतंग मेरे नाम का भी उड़ा लेना।
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ज़िन्दगी गर दोराहे से गुजरती है
वो चौखट ही है तेरी माँ
जहां यह दिल सुकून पाता है
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पीले पीले सरसों के फूल,
पीली उड़े पतंग, रंग बरसे पीला और
छाये सरसों सी उमंग।
आपके जीवन में रहे सदा बसंत के रंग।
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सहस शील हृदय में भर दे जीवन त्याग से भर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे माँ सरस्वती
आपके जीवन में उल्लास भर दे!
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महफ़िल सजती हैं चराग़ रोशन होते हैं
हम तेरे बिना ज़िन्दगी में अधूरे अधूरे से होते हैं
कैसे कहें माँ हर पल बस तेरे ही ख़यालों में डूबे रहते हैं
जीवन की कश्ती एक तेरे ही भरोसे हम सागर में तरते हैं
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Vasant (Basant) Panchami
वीणा लेकर हाथ में,
सरस्वती हो आपके साथ में,
मिले मां आर्शीवाद आपको हर दिन,
हर वार हो मुबारक बसंत पंचमी का त्यौहार,
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माता तेरे चरणों मे भेंट हम चढ़ाते हैं
कभी नारियल तो कभी फूल चढ़ाते हैं
और झोलियाँ भर भर के तेरे दर से लाते हैं
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किस्से कहानी बन जाएंगे हम भी कभी
रहमत है तेरी माँ पास होती है
तू तो जीने में जुनून आता है
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कैसे कहूँ की जी नहीं सकता
माँ तेरी कृपा बिना
मेरा जीवन जीवन नहीं माँ तेरी श्रद्धा बिना
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सोचा करता था माँ
तेरी कृपा बिना कैसे ज़रूरते होंगी पूरी
तेरा आशीर्वाद मिला जो
माँ तो नही रही कोई हसरत अधूरी
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सहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग से भर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
माँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे।
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लेके मौसम की बहार,
आया बसंत ऋतू का त्योहार,
आओ हम सब मिलके मनाये,
दिल में भर के उमंग और प्यार,
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विद्या दायिनी, हंस वाहिनी माँ भगवती तेरे चरणों में
झुकाते शीष हे देवी कृपा कर हे मैया
दे अपना आशीष सदा रहे अनुकम्पा तेरी रहे सदा प्रविश
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श्वेताम्बर हैं जिसका हंस हैं
वहाँ जिसका वीणा, पुराण
जो धारण करती ऐसी
माँ शारदा मैं करू तेरी भक्ति
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कमल पुष्प पर आसीत माँ
देती ज्ञान का सागर माँ
कहती कीचड़ में भी कमल बनो
अपने कर्मो से महान बनो
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तू स्वर की दाता हैं,
तू ही वर्णों की ज्ञाता.
तुझमे ही नवाते शीष,
हे शारदा मैया दे अपना आशीष.
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बिन बुलाए भी जहां जाने को जी चाहता है
वो चौखट ही है तेरी माँ जहां यह बंदा सुकून पाता है
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माँ जब भी तुझको पुकारा है
बिन मांगे सब पाया है
ए माँ मेरी गुनाहों को मेरे मैं कुबूल करता हूँ
मोक्ष दे दे मेरी माँ बस यही आशा रखता हूँ
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किताबों का साथ हो,
पेन पर हाथ हो,
कोपिया आपके पास हो,
पढाई दिन रात हो,
जिंदगी के हर इम्तिहान में आप पास हो।
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मिलते हैं हज़ारों से पर एक है जो हमेशा याद आता है
वो चौखट ही है तेरी माँ जहां यह बंदा सुकून पाता है